10ऐतराज़ की भला क्या बात है
ये किस्सा-ओ-जाम और वाक्या-ए-महफ़िल
आपके ही हैं ..
Urdu |
22Sochta hun kabhi tere dil mein utar kar dekh loon
kaun basa hai tere dil mein jo mujhe basne nahi deta..
Urdu |
90Teri mehfil se uthe the kisi ko khabar na thi
bas tera mud-mud ke dekhna humein badnaam kar gaya..
Hindi |
10शेयर बाजार में कीमत उछलती गिरती रहती है
- Vikas Umrao
मगर ये खून ऐ इनसान है कभी महंगा नहीं होगा..
Hindi |
11Safar mein ain mumkin mein khud ko chor doon lekin
duaein karne walon ka sahara saath rehta hai
mere maula ne mujh ko chahton ki saltanat de di
magar pehli mohabbat ka khasara yaad rehta hai..
Urdu |
73Zakham dene ka andaaz kuch aisa hai
zakham dekar puchte hai ab haal kaisa hai
kisi ek se gila kya karna yaaron
saari duniya ka mijaaz ek jaisa hai..
Urdu |
51Kisi tarang kisi serkhushi mein rehta tha
ye kal ki baat hai dil zindagi mein rehta tha
bas ek shaam khamoshi se toot gaya
humein jo maan teri dosti per rehta tha..
Urdu |
20कुछ तो कर आदाब-ए-महफ़िल का लिहाज़
यार, ये पहलू बदलना छोड़ दे..
– वसीम बरेलवी
Hindi |
23Aankhon ki dehleez pe aa kar
sapne roz bikhar jaate hain..
Urdu |
121Har mor pe mil jate hain hamdard hazaron
shaayed ke meri basti mein adakaar buhat hain..
Urdu |
20मुहाजिर हैं मगर हम एक दुनिया छोड़ आए हैं
तुम्हारे पास जितना है हम उतना छोड़ आए हैं
कहानी का ये हिस्सा आजतक सब से छुपाया है
कि हम मिट्टी की ख़ातिर अपना सोना छोड़ आए हैं
नई दुनिया बसा लेने की इक कमज़ोर चाहत में
पुराने घर की दहलीज़ों को सूना छोड़ आए हैं
अक़ीदत से कलाई पर जो इक बच्ची ने बाँधी थी
वो राखी छोड़ आए हैं वो रिश्ता छोड़ आए हैं
किसी की आरज़ू के पाँवों में ज़ंजीर डाली थी
किसी की ऊन की तीली में फंदा छोड़ आए हैं
पकाकर रोटियाँ रखती थी माँ जिसमें सलीक़े से
निकलते वक़्त वो रोटी की डलिया छोड़ आए हैं
जो इक पतली सड़क उन्नाव से मोहान जाती है
वहीं हसरत के ख़्वाबों को भटकता छोड़ आए हैं
यक़ीं आता नहीं, लगता है कच्ची नींद में शायद
हम अपना घर गली अपना मोहल्ला छोड़ आए हैं
हमारे लौट आने की दुआएँ करता रहता है
हम अपनी छत पे जो चिड़ियों का जत्था छोड़ आए हैं
हमें हिजरत की इस अन्धी गुफ़ा में याद आता है
अजन्ता छोड़ आए हैं एलोरा छोड़ आए हैं
सभी त्योहार मिलजुल कर मनाते थे वहाँ जब थे
दिवाली छोड़ आए हैं दशहरा छोड़ आए हैं
हमें सूरज की किरनें इस लिए तक़लीफ़ देती हैं
अवध की शाम काशी का सवेरा छोड़ आए हैं
गले मिलती हुई नदियाँ गले मिलते हुए मज़हब
इलाहाबाद में कैसा नज़ारा छोड़ आए हैं
हम अपने साथ तस्वीरें तो ले आए हैं शादी की
किसी शायर ने लिक्खा था जो सेहरा छोड़ आए हैं ..
- मुनव्वर राना
Urdu |
00इत्तेफ़ाक़ रखते हैं आपसे
कि उर्दू हमें आती नहीं
पर इससे ये न समझें
कि उर्दू हमें भाती नहीं
Ittefaq rakhte hain aapse
ki urdu humein aati nahi
par isse yeh na samjhe
ki urdu humein bhaati nahi..
Hindi |
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